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लेखनी ,# कहानीकार प्रतियोगिता # -01-Jul-2023 मेरा बाप मेरा दुश्मन (भाग 30 )

  

                मेरा बाप  मेरा दुश्मन  ( भाग 30)

         

                अब तक के भागौ में आपने पढ़ा  कि किस प्रकार  तान्या व विशाल की शादी होती है और इस शादी के कारण तान्या के मम्मी पापा का आत्महत्या करना । इसके बाद तान्या की मौत और विशाल  का दूसरी शादी करना। विशाल  की दूसरी पत्नी सारिका का रमला के साथ साजिस करके उसकी उससे उम्र में काफी बड़े  लड़के के साथ शादी करवा देना। रमला के शराबी पति द्वारा रमला को परेशान करना। आगे की कहानी इस भाग में पढ़िए ।


         रमला पर हर रोज इसी तरह अत्याचार होता रहा अब उसे सहन करने की आदत होगयी। उसके पास और कोई उपाय भी नहीं नजर आरहा था। वह बिबेक के चंगुल में बुरी तरह फस गई  थी। अब रमला को यहाँ से बाहर जाने का कोई  रास्ता भी दिखाई  नहीं देरहा था।

      

यहाँ तक तो ठीक था। परन्तु एक दिन विवेक दिन मे ही अपने एक दोस्त के साथ आगया और शराब पीने लगा उसने साथ मे रमला को बिठा लिया।


       जब वह दोनौ नशे में बहकने लगे। और उसके दोस्त  ने रमला का हाथ पकड़कर खीच लिया और उसको चूमने लगा। रमला उससे अपना हाथ छुडा़कर दूर चली गयी।


       अब विवेक बोला," रमला यह मेरा यार है आज इसकी भी बात मान ले।  यह हमें माला माल करदेगा। बस एक बार की ही तो बात है। "


    "तेरा दिमाग तो खराब नही है मै तेरी बीबी हूँ इसकी नही ।  यदि किसीने भी आगे बढ़ने की कोशिश की तो देखलेना मेरा हाथ उठ जायेगा। मै आज कुछ भी कर सकती हूँ।" इतना कहकर उसने वहाँ रखा चाकू उठालिया।


      चाकू देखकर दोनौ डर गये ।


विवेक बोला," चाकू रखदे  अब यह तुझसे कुछ नही कहेगा। बैसे भी मैने तुझे दो लाख में खरीदा है मेरी इच्छा होगी बैसा करवाऊगा।"


      विवेक रमला के तेवर देखकर एकबार तो भय से काँप गया उसे रमला से एसी आशा नही थी कि वह इतना खतरनाक फैसला भी लेलेगी।


        रमला ने चाकू के डर से उन दोनौ को चूहा बनाकर एक कौने में खडा़ कर दिया। अब उन दोनौ का नशा गायब हो चुका था।


    


          रमला धीरे धीरे कमरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी।


रमला:-  "मै तुम दोनौ से कह रही हूँ यदि तुमने एक कदम भी आगे बढाया तो यह चाकू पेट में आर पार कर दूँगी। जहाँ खडे़ हो वही खडे़ रहना।"


        इतना कहकर रमला ने उन दोनौ के मोबाइल मेज से उठाकर अपने कब्जे मे कर लिए। और रमला ने कमरे से बाहर आकर उसका गेट बन्द कर दिया।


      रमला तेजी से मैन गेट पर पहुँचगयी ।गेट खुला हुआ था। रमला मौके का फायदा उठाकर  तेजी से गेट से बाहर  सड़क पर आगयी। उस समय  चौकीदार भी वहाँ नही था।


      रमला की तकदीर अच्छी थी उसे वहाँ एक औटो रिक्शा भी मिल गया।  वह औटो रिक्शा मे बैठ गयी और बोली,"भैया  मुझे जल्दी नजदीक के पुलिस स्टेशन  ले चलिए। "


        उसने चाकू रास्ते में ही   फैक दिया यह सब औटो चालक देखरहा था।उसकी समझ में आरहा था कि यह किसी का शिकार हुई है इसे लिए इसके हाथ में चाकू था और यह पुलिस स्टेशन जाना चाहरही है।


       औटो चालक पूछने लगा," बहिन क्या हुआ तुम इतनी  परेशान क्यौ हो? पुलिस स्टेशन क्यौ जाना है ?"


       रमला बोली " तुम मुझे जल्दी पुलिस स्टेशन लेचलो। मेरी जान को कुछ लोगौ से खतरा है।


औटो वाला रमला को समझाते हुए बोला," बहिन ये पुलिसवाले बहुत ही कमीने होते है। ये गिद्ध है  मै इनको बहुत अच्छी तरह जानता हूँ मेरी बहिन रेप का शिकार हुई थी। इन कमीनौ ने दो दिन तक रिपोर्ट नही लिखी थी कहते थे डाक्टर की रिपोर्ट लाओ । "


      "फिर क्या हुआ था आपकी बहिन के साथ?" रमला ने पूछा।


   "होना क्या था?  पुलिस ने पैसे खालिए आखिर में मेरी बहिन ने जहर खाकर आत्महत्या करली।",वह  दुःखी होता हुआ  बोला।


     रमला ने पूछा," फिर मैं कहाँ जाऊँ क्या करूँ ?मै उनसे  बहुत मुश्किल से बचकर आई हूँ यदि फिर से वहाँ गयी तो वह मुझे मार डालैगे।


औटोवाला बोला,"  नही बहिन मैने एक बहिन को खोया अब ऐसा नही हौने दूँगा तुमने मुझे भाई बोला है ।राखी की सौगन्ध मै अब किसी को नहीं छोडू़ँगा।


       इतना कहकर औटोवाले ने औटो रोक कर अपने औटो में बंधी  राखी खोलकर रमला की तरफ बढा़ई और बोला," यदि तुम्है विश्वास न हो तो यह राखी मेरी कलाई पर बांध दो।"


       और औटो वाले ने अपनी कलाई रमला के सामने करदी।


      रमला को विश्वास नही आरहा था कि इस दुनियां में अभी ऐसे लोग भी है। आजकल के लोग औरत को अकेला देखकर उसको नौचकर खाने की कोशिश करते है। यह सोचकर रमला की आँखौ से आँसुऔ की धारा बहने लगी।


      रमला ने उसकी कलाई पर राखी बांध दी। इसके बाद वह औटो चालक रमला को अपने घर लेगया।


    औटो चालक का नाम राकेश था ।राकेश की माँ ने जब उसके साथ एक लड़की को आते हुए देखा तब उसकी माँ ने पूछा," यह बेटी कौन है ?"


     राकेश बोला  ," माँ यह आपकी बेटी है ।ओह मैने तो अभी तक इसका नाम ही नहीं पूछा।"


   रमला ही बोली," माँजी मेरा नाम रमला है और इतना कहकर उसने उनको अपनी पूरी कहानी बताई। उसकी पूरी कहानी सुनकर राकेश की माँ बोली," बेटी अब तू चिन्ता मत कर यहाँ कोई नहीं आ सकता है। "


     रमला को फिर भी डर लग रहा था कि कही वह लोग यहाँ आकर कुछ उपद्रव न करै जिससे इनको परेशानी पैदा होजाय।


       अब रमला सोच रही थी कि उसे क्या करना चाहिए।उसके दिमाग में एक आईडिया  आरहा था कि इनकी शिकायत महिला आयोग में करदेनी चाहिए। अथवा नारी निकेतन में जाकर बात करनी चाहिए। क्यौकि वह लोग खोजते हुए कभी न कभी यहाँ आसकते है।


        जब इनके पडौ़सी व आस पास के लोग पूछैगे तब वह क्या जबाब देगी। यह सोचकर वह कुछ न कुछ कार्यवाही करना चाहती थी। वह यह भी नहीं चाहती थी कि उसके कारण यह लोग भी फस जाए।  इसलिए  वह यहाँ से जाना चाहती थी।


                   "  क्रमशः" इससे आगे की कहानी अगले भाग में पढ़िए।


कहानीकार  प्रतियोगिता  हेतु रचना

नरेश शर्मा " पचौरी"


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1 Comments

Varsha_Upadhyay

03-Aug-2023 05:29 PM

बेहतरीन भाग

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